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________________ FROPOLGIRLGIRA GREATorg श्री धर्म प्रवर्तन सस. 99 गुणो० ॥ ए आंकणी ॥ १ ॥ विशेष उपयोग ज्ञाननोरे मिता ॥ पहेले समय लहंत ॥ वीजे समय दर्शणनोरे , मिता ॥ उपयोग सामान्य कहंत रे रंगीला मिता ॥ ए के गुणो० ॥ २॥ विशेष ते साकार नेदतारे मिता ॥ सा& मान्य सो निराकार ॥ अन्नेद ग्राहक नाषीयोरे मिता ॥ है ए सिद्धांतीक पक्ष साररे रंगीला मिता ॥ ए गुणो० ॥३॥6 नय वादे निन्न न मानीयोर मिता॥ एक विशेषोपयोग ॥ है सामान्य विशेषमां नट्योरे मिता ॥ न समय अंतर जोगरे । रंगीला मिता ॥ ए गुणो० ॥ ४ ॥ एम निन्न मत ए बेदुनोरे मिता ॥ जिन न गणी सिद्धसेन ॥केवळी गम्य सो तत्व एरे मिता ॥ सिद्धसेन विसारद नय ज्ञानरे रंगीउला मिता ॥ ए गुणो० ॥ ५ ॥ हवे ज्ञान अनंतु दाखवुरे मिता ॥ सवे एक समय प्रत्यक्ष ॥ आच्छादन नही एहने । रे मिता ॥ जाणे जिव अजिव समरे रंगीला मिता ॥ ए गुणो० ॥ ६॥ तेमां रूपी अरूपी जाणतारे मिता ॥ १ जाणे गति हेतु अव्य॥ स्थिति हेतु प्रव्य जाणतारे मिता॥ जाणे अवकाश हेतु अव्यरे रंगीला मिता ॥ ए गुणो० ॥ १ ॥ नवी वस्तुने जुनी करेरे मिता॥ तेहना हेतुनो जाण ॥ एम खट अव्यने जाणतारे मिता ॥ उपजे विणसे ध्रुव ) जाणरे रंगीला मिता ॥ ए गुणो० ॥ ७ ॥ नीज नीज वृत्ति हे सर्व करेरे मिता ॥ ए अगुरू लघु पर्याय ॥ समे समे ६ हांणी वृद्धि खहरे मिता ॥ षट् षट् वार कहायरे रंगीला है मिता ॥ ए गुणो० ॥ ए ॥ अतित काळ अनंतो गयोरे sasroomsEverest ProGraordGranardarnardGAGAR १७ RA Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034802
Book TitleDharm Pravarttan Sara Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandbhai Swarupchand Shah
PublisherRatanchand Laghaji Shah
Publication Year1910
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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