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________________ ror RAHARGreGRIGORIAGGARGIA श्री धर्म प्रवर्तन सा२. ) व्यक्तिनावे करी ते प्रगट होवारूप दानलब्धि कहीए. तेनो , दाता आत्मा पोते अने ए लान पूर्वेन हतो ते लान आत्मा- १ ने संपादन थयो. तेने लाललब्धि कहीए.वळी ते लब्धि प्रगट | थइ तेज समय अनंतागुणनो नोग,थास्वादन श्रात्मा करे. है, तेने नोगलब्धि कहीए. वली उपन्नोग ते बीजा समयथी है पुनरपि पुनरपि नोगवई एम चीरकाललगे सादि अनंत- 6 नांगे अनंती हायक लब्धिने पोते नोगवे अने वली लोगवशे, आस्वादन करशे तेमां एक समय मात्र पण निज लब्धिनो अलोगववो एम नथी, व्याघात विघ्ननो असनंव ले. तेने उपत्नोग लब्धि कहीए. वीर्य कहेतां है वीर्य शक्ति, अनंत स्फूरी रह्यो है- कहेतां अनंत नेदे गुण गुण प्रत्ये गुण गुणगत स्वन्नावे दान देवापणे लान होवा- पणे नोग करवापणे उपन्नोग ते पुनरपि पुनरपि जोगववा पणे, वीर्य स्फूर्णापणे, एम कही ते प्रमाणे, क्षायकन्नावनी टू पांच लब्धी प्रगट थइ. वली केवळझान, केवळदर्शन ए २ बे गुणो नेळतां दायक नावनी सात लब्धि तेरमुं गुणगाणुं पामतां प्रथम समये प्राप्त थइ अने बारमा १ गुणगणाना प्रथम समये यथाख्यात चारित्र प्रगट कर्यु ते " ६ मेळवतां आठ अने पूर्वे चोथे वा सातमे गुणगणे दायक समकित पाम्या. ते गणतां नव नेदे दायकलब्धि कहीए ते श्हां अरिहंत पदे तेरमा गुणगणे पूर्ण गवेषीने कही. ६, इहां तेरमा गुणगणानी जघन्य स्थिति अंतर मुहर्तनी ले , हे अने उत्कृष्टि देशे उणी एटले श्राउ वरसे उणी पूर्व कोमनी १ .8656GHGARH ETARGorkGareraGrdGreaGGreenaram Warmir Orgare Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034802
Book TitleDharm Pravarttan Sara Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandbhai Swarupchand Shah
PublisherRatanchand Laghaji Shah
Publication Year1910
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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