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GramBRARAGreen Gramma
श्री धर्भ पतन सार. १ वखंबी होय, ते योगदृष्टि सज्मायोथी जो लेजो. प्रथ
मनी चार सज्मोयो मिथ्यात्वसहित प्रवर्तनमा , अनेक पांचमी थीरादृष्टिथी ते आठमी परा दृष्टि सुधी चार सज्मायो समकित धर्मप्रवर्तनमांडे, वळी मुक्तिना मार्गमांडे ते माटे श्रमारे नेद वेंडेंचवो पम्यो. पेहेली दृष्टिनी सउमाये कडंडे के, दृष्टि थिरादिक चारमा, मुगति प्रयाण न लाजेरे॥ रयणि सयन जेम श्रम हरे, सुरनर सुख तेम
गजेरे ॥ वी० ॥५॥ अर्थः-दृष्टि के समकितनी आठ दृष्टि कही , तेमां प्रथमनी चार दृष्टि, तेनां नाम. मित्रा, तारा, वळा,
अने दिप्ता ए चार दृष्टि समकितरूप नथी, परंतु व्यवहारे १ कारण जे ते कारणने विषे कार्यपणानो उपचार करीने स. १
मकितमां गणीने. हवे पाबळनी चार दृष्टिनां नाम, स्थिरा, कान्ता, प्रना, अने परा ए चार दृष्टि समकित रूप है वळी, इहां बोध एटले जाणपणुं ते पण वस्तुगते वस्तुपणुं
सहहे श्रद्धा ज्ञान पूर्वक स्थिर, ए चार चार मळीने @ श्राप दृष्टि कही, तेमां स्थिरादिक चारमा केहेतां स्थिरा
पांचमी अने आदि शब्दे बही, सातमी, अने आठमी, ए
पाडळनी चार दृष्टिए वर्ततो एवो जे प्राणी, ते एक व& खते वे क्रियानो की. एक उदयिक नावनी अने बीजी
योपशम नावनी, तेमा प्रथम उदयिक नावनी एटले RAVINGrenge
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