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२३ सर्व प्रकारके ध्यानोंमें जैसे परमशुक्लध्यान (शुक्लध्यानका चौथा भेद ) प्रधान-अत्युत्तम माना गया है, वैसेही व्रतोंमें ब्रह्मचर्य माना गया है।
२४ मतिज्ञान आदि पांचों ज्ञानोंमें जैसे केवलज्ञान सर्वोत्तम प्रधान होता है, वैसेही व्रतोंमें ब्रह्मचर्य होता है।
२५ छप्रकारकी लेश्याओंमें जैसे शुक्लध्यानके तीसरे भेदमें होनेवाली परमशक्कुलेश्या प्रधान गिनी गई है, वैसेही व्रतोंमें ब्रह्मचर्य व्रत प्रधान गिना गया है।
२६ जैसे साधु-मुनि-ऋषियोंमें श्री तीर्थंकर महाराज सर्वोत्तम परमपूज्य माने जाते हैं, वैसेही व्रतोंमें ब्रह्मचर्य माना जाता है ।
२७ क्षेत्रों में जैसे महाविदेह क्षेत्र प्रधान माना गया है, वैसेही व्रतोंमें ब्रह्मचर्य व्रत माना गया है।
२८ पांच मेरुओंमें जैसे मंदरवर जंबूद्वीपका मेरु गिरिराज कहा जाता है, वैसेही व्रतोंमें ब्रह्मचर्यव्रत व्रतराज कहा जाता है।
२९ मेरुपर्वतके भद्रशाल, नंदन, सौमनस और पंडक नामा चारों वनोंमें जैसे नंदनवनको प्रधान माना है, वैसे ही व्रतोंमें ब्रह्मचर्यव्रतको प्रधान माना है। ____३० जैसे वृक्षोंमें सुदर्शन नामा जंबूवृक्ष कि, जिसके नामसे यह जंबूद्वीप कहा जाता है, प्रधान मानागया है, वैसेही व्रतोंमें प्रधान व्रत ब्रह्मचर्य मानागया है।
३. जैसे तुरगपति, गजपति, रथपति और नरपति राजाके नामसे विश्रुत-प्रसिद्ध होता है, वैसेही व्रतोंमें ब्रह्मचर्य व्रत राजा तरीके प्रसिद्ध होता है।
३२ जैसे महारथपर सवार हुआ हुआ महारथी, पर-शत्रु सैन्यके पराभव करनेमें प्रसिद्ध होता है, वैसेही ब्रह्मचर्यरूप रथपर सवार हुआ हुआ महारथी-ब्रह्मचारी कर्मरिपुके सैन्यका पराभव करने में प्रसिद्ध होताहै। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com