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________________ २८ जिम उदभट वेश न साधु साधवी धारे, तिम नरनारी सागारभी कुल अनुसारे । धारे नहीं उदभट वेश ब्रह्म व्रत पारे, नरनारी परस्पर दोष समान निवारे । सुंदर मर्यादा धारो पूर्वज मानी ॥ आतम० ३ ॥ विधवा परिवर्तन वेश जगतमें जानो, रक्षा ब्रह्मचर्य पतिव्रत धर्मकी मानो । सादे कपड़े पहने भूषण नवि धारे, कुल दोनों अपने पितृश्वसुर उजियारे । धारो दिल अपने गूढ रहस्य वखानी ॥ आ० साधु पेथड भाग्यवान गृही ब्रह्मचारी, छोटी वय वर्ष बत्तीस अवस्था धारी । खातिर ब्रह्मपालन सादा वेश विहारी, त्यागा तांबूल सुकृत सागर उच्चारी। इंद्रियगण अतिबलवान न करो नादानी आ०५॥ महाभाग पालो ब्रह्मचर्य प्रगटे तुम नूरा, बलवीर्यपराक्रम फोर बनो अतिसूरा । वर्तमान अवस्था देशकी दिलमें विचारो, बल देहके कारण ब्रह्मचर्य अवधारो। तजो कायरता अवलंबन लो ब्रह्मज्ञानी ॥ आ०६॥ अवलंबन पूजा पूज्य परम ब्रह्मज्ञानी, पूजक पावे फल आप होवे तस सानी। १ नूर-तेज । २ फोरना- उपयोगमें लाना । ३ सानी-तुल्य । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034794
Book TitleCharitra Puja athva Bramhacharya Vrat Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayvallabhsuri
PublisherBhogilal Tarachand Zaveri
Publication Year1925
Total Pages50
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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