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KOSHO
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NAGAR
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॥ अर्हम् ॥ वन्दे वीरमानन्दम् । श्रीचारित्रपूजा
अथवा श्रीब्रह्मचर्यव्रतपूजा ॥ -
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दोहरा। जगवल्लभ पारस प्रभु, प्रणमी सदगुरु पाय । नमन करी पूजा रचूं, सिमरी सारद माय ॥ १॥ पूजा श्री ब्रह्मचर्यकी, ब्रह्मस्वरूप निदान । प्रेरक मंगल दास है, पूजा मंगल खान ॥२॥ मूल गुणोंमें है बडो, गुण ब्रह्मचर्य प्रधान । शुभ भावे पालन करे, होवे कोटि कल्यान ॥३॥ सम्यग दर्शन ज्ञान है, सम्यग चरण उदार। तीनों क्षायिक भावसे, करते भवजल पार ॥४॥
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