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२१ वाणा
वाणी सातमा श्लोक त्रोजु पाद छे तेने पहेलुं पाद समजवू जगत्रय
जगत्रय, सदाचारता- सदा चारता, विष खरी पडेलो जेमके शब्द (फुफाटा) अर्थात् विषरहित थी रहित थयेलो सर्पशुं एवो सर्प शुं पृथिने जगतमां झेर विनानो विषे थाय खरो? थयो ? अर्थात् नथी अर्थात् न थाय थयो. तपनु मूल शु? तपनु मूल धारण कर छे धारण करे छे भिक्षो न. भिक्षो ? न जो धननी इच्छा जो मनमा धननी इच्छा
थाय तो थाय तो १८-१९
धनने अने स्त्रीने धनरूप परिग्रहने भुक्ताहार भुक्त्वाऽऽहार जीव
नपुंसक कर,वली आत्मा- आत्माने पवीत्र करवा. थी पवीत्र करीने मां तत्पर
__ वली ९ दुर्गधे दुर्गंध
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