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॥ अर्पणपत्रिका ॥
शान्त्याद्यनेक गुणगणालंकृत परम पूज्य प्रातःस्मरणीय परम गुरु स्वर्गस्थ पन्यासजी महाराज श्री श्री श्री उमेदविजयजी गणीश्वरजी महाराजजी . तथा ___ उपरोक्त विशेषण विशिष्ट विहरमान जैनाचार्य श्री श्री श्री विजयवीर सूरीश्वरजी महाराज जी, ____ आपश्रीनी पूर्ण कृपाथी मारामां अनेक गुणो उद्भव्या. सम्यक् दर्शन-झान-तथा चारित्रनु भाजन बन्यो अने भगवती जेवा गहन सूत्रोने वांचवा समर्थ थयो, वली लुणार नामना गाममां कुपंथीने हठाववामां समर्थ थयो, ते पण आप महात्माओनो पूर्ण कृपार्नुज फल छे इत्यादि अनेक गुणोथी प्रेराइ आ लघु पुस्तक आपश्रीना करकमलमा अर्पण करुछु ते कृपया स्वीकारी कृतार्थ करशो एवी आशा राखुछु.
ली. कृपाकांक्षी कान्तिविजय.
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