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________________ श्री उमेदविजयगणिवर्यकी भक्तिसें स्तुति करके, और जिस्के प्रसादसे में शास्त्रो (आगमो) का ज्ञानवाला हुवा एसी जगतका अज्ञानकुं नाश करनेवाली, सरस्वती देवीका स्मरण करकें और अनुयोग वृद्धोकुंभी नमस्कार करके देशभाषासें (हिंदीभाषासें) श्री अन्तरिक्ष पार्श्वनाथकी स्तुति ( महात्म्य) का विवरण आनन्दसें । में (शान्तिविजय ) लिखताहुं. १-४ श्री पार्श्वनाथायनमः शान्तिरसमय और श्री परमानन्द स्वरूप (परमात्मा) को नमस्कार करके अन्य प्राणीओका उपकारके लीये प्रत्यक्ष अनुभव कीया हुवा चमत्कारको वर्णन करता हुं. १ यह जम्बूद्वीपका भरतक्षेत्रके मध्य खंडकुं शोभानेवाला और अनेक बगीचाओसें मनोहर सत्यपुर नामका (साचोर) नगर था.२ उस नगरमे ओशवालवंशमें उत्पन्न हुवा राजमल्ल नामका श्रावक रहता था. उस्की मुली नामकी ओरतने भानिराम नामका सौम्य पुत्रको ( लडकेको) जन्म दीया. ३ अन्यदा उस नगरमें शमादि (वैराग्यादि) गुणके समुद्र (भंडार) बहोत मुनिवरो करके युक्त आचार्यपदको धारण करनेवाले विजयदेवमूरिजी पधारे. ४ वरसादके आनेसें मयूरीकी माफीक सूरिजीका आगमनको मुनकर सभी श्रावक श्राविकाओ आनन्दसें वन्दन करनेकुं गये. ५ " चातकपक्षीकी माफोक आगम ( सिद्धान्त ) रूप अमृत Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034788
Book TitleChamatkari Savchuri Stotra Sangraha tatha Vankchuliya Sutra Saransh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshantivijay
PublisherHirachand Kakalbhai Shah
Publication Year1923
Total Pages100
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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