SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 84
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७० दुनियामें-जो फनीहती होती है, वह तो अलग ही है। ऐसे दो स्त्रियोंके पतिपर दया लाकर एक कविने कहा है किः "बहुत वणिज बहु बेटियाँ दो नारी भरतार । उसको क्या है मारना ? मार रहा किरतार" || बिल्कुल सच है । दो स्त्रियोंका भर्तार स्वयं मरा हुआ है। खानेमें पीनेमें या और किसी कार्यमें उसको आनंद नहीं मिलता। एक दृष्टांत है कि: " एक समय एक चोर, एक ऐसे गृहस्थके घरमें चोरी करने घुसा जिसके दो स्त्रियाँ थीं। एक स्त्री नीचेके कमरेमें सोती थी और दूसरी ऊपरके कमरेमें । सेठ उसी रात्रिको-जिस रात्रिमें चोर चोरी करने घुसाथां-नीचेके कमरेसे ऊपर सोई हुई स्त्रीके पास जाने लगा । यह बात नीचे के कमरेमें सोई हुई को अच्छी नं लगी । सेठ जब नालमें चढ़कर जाने लगा तब नीचेके कमरेवाली स्त्रीने उसके पैर पकड़ लिए, यह बात ऊपरके कमरेवालीको मालूम हुई । उसने झट चढ़ावके मुँह पर आकर सेठके सिरकी चोटी पकड़ ली । ऊपरवाली सेठको ऊपर और नीचेवाली सेठको नीचे खींचने लगी । सेठ यदि चाहता तो दीनोंमेंसे एककोजिसको चाहता उसे-झटककर हटा सकता था। मगर उसने इस डरसे ऐसा नहीं किया कि, कोई रिसा न जाय, इसलिए वह सारी रात त्रिशंकुकी तरह नालके चढ़ावके बीचमें ही खड़ा रहा और वे दोनों स्त्रियाँ उसको अपनी अपनी तरफ खींचती रही। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034783
Book TitleBramhacharya Digdarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri, Lilavat
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1925
Total Pages108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy