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विजया दशमी, सं. १९९७]
गुजरातना पुरातन माहित्यना ममुद्धार
अने
अभिनव वाइमयनः ममत्कर्षनी
माधना मांट गुजराती साहित्य संसद्
स्थापित करी गुजराती जनताना
मावुक मानसमां सांस्कारिक 'अम्मिता उदभावित करनार
भारतीय संस्कृतिना उच्चतम अध्ययन - अध्यापन
अने सवांगीण शिक्षणप्रसार
निमित्त भारतीय विद्या भवन
तथा तदन्तर्गत गुजरातना अनन्य ज्ञानज्योतिर्घर श्रीमद् हेमचन्द्राचार्यन मार्वजनीन स्मृतिमन्दिर
म्यापित करनार
सहृदय सुहृद्वर श्रीमत् कन्हैयालाल माणेकलाल मुंशी
ना कर्तव्यनिरत करकमलमा हैमयुगीन गुजराती भाषानो
आ प्राचीनतम पद्य प्रबन्ध नूतन प्रतिष्ठित हेमचन्द्रस्मृतिमन्दिरमा सर्वाय स्थापन करवा माटे
मादर समर्पित
जिन विजय
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