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अंक
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भरतेश्वर-बाहुबली रास [५ तं ति सुणीय तीणइ तालि, ऊठीउ राउ सरोसभरे । भमइ घडावीय मालि, पमणइ मोडवि मूछि मुहे ॥ जु न मानइ मझ आण, कवण सु कहीइ बाहुबले । लीलहं लेसु ए राण, भंज मुज भारिहिं भिडीय ॥ स मतिसागर मंति, वलि वसुहाहिव वीनवइ । नवि मनि कीजइ खंति, बंधव सिउं कहि कवण बलो॥ ५३ दूत पठावीयइ देव, पहिलघु वात जणावीइ ए । जु नवि आवइ देव, तु नरवर कटकई करउ ।। तं मनि मानीय राउ, वेगि सुवेगहं आइसइ ए । जईय सुनंदाजालं, आण मनावे आपणीय ॥ जां रथ जोत्रीय जाइ, सु जि आएसिहि नरवरहं । फिरि फिरि साहमु थाइ, वाम तुरीय वाहणि तणउ ।। काजलकाल बिराल, आवीय आडिहिं ऊवरइ ए। जिमणउ जम विकराल, खरु खु-रव ऊछलीय ॥ सूकीय बाउल डालि, देवि बइठीय सुर करइ ए। झंपीय झाल मझालि, धूक पोकारइ दाहिणओ ॥ जिमणइं गमई विषावि, फिरीय फिरीय शिव फे करइ ए। डावीय डगलइ सादि, भयरव भैरव खु करइ ए॥ वड जखनइं कालीयार, एकऊ बेढुं ऊतरह ए । नींजलीउ अंगार, संचरतां साहमु हुइ ए ॥ काल भुयंगम काल, दंतीय दंसण दाखवइ ए । आज अखूटउ काल, छूटर रहि रहि इम भणइ ए॥ जाइ जाणी दूत, जीवह जोषि अांगमइ ए। जेम भमंतउ भूव, गिणइ न गिरि गुह वण गहण ॥ सईद नेसमि वेस, न गिणइ नइ दह नींझरण । लंघीय देस असेस, गाम नयर पुर पाटणह ।। बाहरि बहूव बाराम, सुरवर नइ तां नीझरण । मणि वोरण अमिराम, रेहड धवलीय धवलहरो॥
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