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बिहार-नेपाल-उड़ीसा-बंगाल-बरमा
निर्माण किये हुए कई जिन मन्दिर हैं । उदयगिरि और ग्वण्डगिरि अतिशय क्षेत्र माने जाते हैं।
तोसलि जैन श्रमणों का केन्द्र था । यहाँ का तोमलिक गजा जिन-प्रतिमा की देखरेख किया करता था । महावीर ने यहाँ विहार किया था, और यहाँ उन्हें अनेक कष्ट सहन करने पड़े थे। तोसलि के निवासी फल-फूल के बहुत शौकीन होते थे। यहाँ नदियों के पानी से खेती होती थी; कभी वर्षा अधिक होने से फ़सल नष्ट हो जाती थी। ऐसे संकट के समय जैन श्रमण ताड़ के फल खाकर निर्वाह करते थे। तोमलि में अनेक तालाब ( तालोदक) थे । यहाँ की भैंसें बहुत मरखनी होती थीं, और वे अपने सींगों से मनुष्यों को मार डालनी थीं। तोतलि प्राचार्य की मृत्यु भैंस के मारने से हुई थी।
तोतलि की पहचान कटक ज़िले के धौलि नामक गाँव से की जाती है ।
शैलपुर तोसलि के अन्तर्गत था । यहाँ ऋषिपाल नामक ब्यंतर का बनाया हुआ ऋषितडाग* नामक एक तालाब था । इस तालाव का उल्लख हाथीगुफ़ा के शिलालेखों में मिलता है । यहाँ लोग बाट दिन तक उत्सव (मंडि) मनाते थे।
तोलि के पास हथिसीस नाम का नगर था । व्यापार का यह बड़ा केन्द्र था । महावीर ने यहाँ विहार किया था ।
४: बंगाल वंग अथवा बंगाल की गणना भारत के प्राचीन जनपदों में की गई है । अंग और वंग का उल्लेख महाभारत में आता है ।
प्राचीन काल में वर्तमान बंगाल भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता था । पूर्वीय बंगाल को समतट, पश्चिमी की लाढ, उत्तरी को पुण्ड, तथा आसाम को कामरूप कहा जाता था। बंगाल को गौड़ भी कहते थे । जब फ़ाहियान
* कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्वर्गीय प्रो० डॉ० वेनीमाधव बडुअा ने इम स्थान का पता लगाया है ।
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