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________________ (४७) १९१६ ५४-बीस बरस से कम उमर के लड़के का, और १४ से कम की लड़की का विवाह न किया जाय । १६१६ ५५-पचपन चरस से ऊपर पुरुष का, और जिसके पुत्र हो उसका ४५ बरस से ऊपर की उमर में पुनर्विवाह न हो। ५६-जैन बातियों में पारस्परिक विवाह तथा भोजन प्रचार किया जाय । ५७-विवाह और देहान्त सम्बन्धित रिवाजों में यथा सम्भव सादगी बरती बाय; और अनावश्यक रीतियाँ बन्द की जाय । ५८-लड़का या लड़की वाले को, किसी प्रकार भी बहुमूल्य नकद या द्रव्य का प्रदर्शन करने से रोका जाय । १-विवाह या मौत के अवसरों पर अपनी शक्ति से अधिक खर्च का रिवाज, और मरने पर बिरादरी का भोजन रोका बाय । ६०-जैन तीर्थो, मन्दिरों, और संस्थाओं का हिसाब जाँच किया बाकर जैन समाचार-पत्रों में प्रकाशित किया चाय । ६१-हिसार निवासी श्री० उग्रसेन वकील ने सेट्रल जैन कालिब स्थापन करने के लिये १००००) दान की घोषणा की। १६१७ ६२-लोकमान्य तिलक महाराज और माननीय खापर्डे कलकचा अधिवेशन में पधारे, और भाषण दिये। १६१८ ६३-महामंडल का प्रत्येक सदस्य पूर्ण शक्तितः प्रयत्न करेगा कि तीर्थक्षेत्र सम्बन्धी विवादों का पारस्परिक समझौते से पंचों द्वारा निर्णय कर दिया बाय।। ६३-अ-प्रत्येक सदस्य पूर्ण प्रयत्न करेगा कि भिन्न जैन चातियों और सम्प्रदायों में विवाहादि सामाजिक सम्बन्ध किये जावें। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034772
Book TitleBharat Jain Mahamandal ka Sankshipta Itihas 1899 to 1946
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitprasad
PublisherBharat Jain Mahamandal Karyalay
Publication Year1947
Total Pages108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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