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१९०७ ३०-श्वेताम्बर कांफरेन्स के पन्मदाता, श्रीयुत् गुलाबचन्द दहा
सभापति का व्यास्थान, सामाबिक, व्यवहारिक एकता। ३१-१३ बरस से कम कन्या का, १८ बरस से कम कुमार का विवाह
न हो। ३२-विवाह और मरण समय व्यर्थ व्यय रोका बाय । ३३–वेश्या नृत्य बन्द किया जाय । ३४-वृद्ध पुरुष का बालिका से विवाह बन्द हो । ३५-परदा-प्रथा हटा दी जाय । ३६-समाज में अनैक्य फैलानेवाले तीर्थक्षेत्र सम्बन्धित, कचहरी में
मुकदमेबाजी का अन्त करने के लिये श्वेताम्बर कांफरेन्स और
दिगम्बर महासभा के ६-६ सदस्यों की कमेटी बनाई बाय । ३७-साम्प्रदायिक पक्ष-पात से प्रेरित होकर, धर्म की आड़ में जो
पारस्परिक आषात प्रतिघात किये जाते हैं वह बंद होने चाहिये । ३८-यह देखकर कि समाज का लाखों रुपया तीर्थचेत्रों के नाम पर
विविध प्रकार के खातों में व्यक्तियों के पास पड़ा हुआ है, उस द्रव्य की सुरक्षा और सदुपयोग के विचार से उचित प्रतीत होता है कि समस्त देव द्रव्य एक सेंट्रल जैन बैंक में रखा जाय । और
उस बैंक की स्थानीय शाखा मुख्य स्थानों में स्थापित हो । ३१-बैन समाज के प्रतिनिधि, समाज की तरफ से निर्वाचित होकर सेंट्रल और प्राविंशियल काउन्सिलों में लिये जायें ।
१६०० ४०-तीर्थक्षेत्र-सम्बन्धी विवादस्थ विषयों के निर्णयार्थ पंचायत की
स्थापना । ४१-मेरठ में बैन छात्रालय की स्थापना । ४२-अध्यापिका तय्यार करने के लिये विधवा महिलाओं को छात्रवृत्ति
प्रदान ।
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