________________
( ३६ ) नं. १०-मण्डल की राय में अब वह समय आ चुका है जब जैन समाज के सब फिरकों के लोग अपने अपने सामाजिक और धार्मिक उत्सव एकत्रित होकर, एक ही जगह मिलकर एक विशाल जैन संघ के रूप में प्रायोजित करें । मण्डल सब जगह की पंचायतों को ऐसे कार्यों में यया शक्ति सहयोग देता रहेगा। ___न. ११-यह अधिवेशन कांग्रेस को देश की एक मात्र प्रतिनिधि संस्था मानता हुआ जैन बनता से अनुरोध करता है कि, कांग्रेस कार्य में यथाशक्ति पूर्ण सहयोग दे।
न. १२--यह मण्डल माननीय सभापति को अधिकार देता है कि, वे २१ आदमियों की एक प्रबन्धकारिणी कमिटी स्थापित करें।
__सत्ताईसवाँ अधिवेशन ___ महामण्डल का सत्ताईसवाँ अधिवेशन २, ३, ४ अपरैल १९५७ को श्री कुन्दनमल शोभाचन्द फीरोदिया, स्वीकार बम्बई लेजिस्लेटिव ऐसेम्बली के सभापतित्व में हैदराबाद ( दक्षिण ). नगर में होने को है । स्वागत समिति के अध्यक्ष श्रीयुत सेठ रघुनाथ मल बैकर हैं। और श्री विरवी चन्द चौधरी स्वागत मन्त्री हैं ।
उपसंहार १९२१ से १६२६ तक मैं कौटुम्बक संकटों में और श्री सम्मेद शिखर केस में, श्री बैरिस्टर चम्बत राय के साथ लगा रहा, श्रीयुत् युगमन्धरलाल बैनी को इन्दौर हाईकोर्ट की बबी से अवकाश न मिला अन्य कार्यकर्ता भी विविध प्रकार व्यस्त रहे, और ६ बरस तक मण्डल का अधिवेशन न हो सका।
१९२७ में मुझे कुछ अवकाश मिलने पर बीकानेर में अधिवेशन का आयोजन श्री वाडोलाल मोतीलाल शाह के सभापतित्व में हो सकी । श्री युगमन्धरलाल जैनी का शरीरान्त १९२७ में हो गया था। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com