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________________ ( ३३ ) (५) स्त्रीशिक्षा का समुचित प्रबन्ध और विधवा और अनाथ की रक्षा तथा सहायता । (६) परदा प्रथा का हटाना । (७) बेरोजगार बैनियों को रोजगार से लगाना | ́ (5) जन्म-मरण भोज प्रथा को दूर करना । (1) जन्म, विवाह श्रादि घरेलू उत्सवों में व्यर्थ व्यय रोकना । (१०) बाल विवाह, वृद्ध विवाह तथा अनमेल विवाह की प्रथा को बन्द करना । (११) जाति बहिष्कार के दस्तूर को हटाना । (१२) भारतीय सामाजिक प्रबन्ध में, अर्थात् केन्द्रीय, प्रान्तीय धारा सभा, डिस्ट्रिक्ट बोडं ग्राम पंचायत श्रादि में भाग लेना । चौबीसवाँ अधिवेशन चौबीसवाँ अधिवेशन ५ मई १९४४ को देशभक्त सेठ खुशालचंद बी खबांची एम. एल. ए. ( M. LA.) के सभापतित्व में वर्धा में हुश्रा । सवजेक्ट कमिटी की मीटिंग बजाज-वाडी में हुई और महामण्डल का खुला बलसा तिलक भवन ( टाउन हाल ) में ! उल्लेखनीय प्रस्ताव यह थे । (v) दिगम्बर श्वेताम्बर धार्मिक पर्व पर मिलकर साप्ताहिक या मासिक सामूहिक प्रार्थना की जाय । (६) महामण्डल का प्रत्येक सदस्य पूर्ण शक्ति से प्रयत्न करे कि तीर्थक्षेत्र सम्बन्धी सब मुकदमें पंचायती न्यायालय द्वारा निर्णीत किये जायँ, वह निर्माय प्रत्येक जैन को मान्य हो । कोई मुकदमा सरकारी कचहरी में न जाने पावे । (७) बिस किसी जैन मंदिर या अन्य नहीं रक्खा गया हो, या उसमें सन्देह हो, या Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat संस्था का हिसाब साफ श्रधिकारीवर्ग के सामने www.umaragyanbhandar.com
SR No.034772
Book TitleBharat Jain Mahamandal ka Sankshipta Itihas 1899 to 1946
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitprasad
PublisherBharat Jain Mahamandal Karyalay
Publication Year1947
Total Pages108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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