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जैन मन्दिर में डा० चुननकर पी. एच. डो. का व्याख्यान हुआ।ब. शीतलाप्रसाद, प्रोफेसर हीरालाल, डा. जुननकर, श्री जुननकर सबजन, श्री एम. वी. महाजन ऐडवोकेट, टी. पी. महाजन वकील, सुगनचन्द लुनावत एम. एल. ए., दीपचन्द गोठी एम. एल. ए., फूलचन्दनी सेठी, कन्हैयालालजी पाटनी, पानकुंवर बाई धर्मपत्नी सेठ राजमलजी ललवानी, बहन शांताबाई रानीवाला, सो० वसुन्धरादेवी धुमाले, अब्दुल रजाक खाँ एम. एल. ए. बाहर से पधारे थे। श्री अन्दुल रजाक खाँ का भाषण अहिंसापर हुआ। श्रदय श्रीकृष्णदास बाजू, सत्यभक दरबारी लालजी के व्याख्यान भी हुए । वर्षा म्युनिसिपैलिटी के अध्ययक्ष श्री गंगाविशन बजाज, तालुका काँग्रेस कमेटी के अध्यद श्री शिवराज चूड़ीवाले भी पधारे थे। इस अवसर पर किसी प्रकार भी चन्दा नहीं लिया गया। प्रबन्ध का सब खर्च चिरंजीलालजी बडजाते ने किया । यों तो इस अधिवेशन में १३ प्रस्ताव हुए। उल्लेखनीय प्रस्ताव निम्नलिखित थे।
(नं. १)-धार्मिक भंडारों में जो रुपया जमा है, उसका उपयोग जैन साहित्य प्रचार, धर्म प्रचार, प्राचीन ग्रन्थोदार, बैन धर्म सम्बन्धी विद्या प्रचार में किया जाए।
(नं.५)-बब तक जैन समाज के छात्र परस्पर मिलकर विद्याध्ययन नहीं करेंगे, तब तक एकता, प्रेम-वर्धन नहीं हो सकता । अतएव मण्डल को राय में जैन यूनिवर्सिटी, कालेज, हाईस्कूल आदि सम्मिलित संस्थाएं होनी चाहिए जिसमें बैनधर्म के मूल सिद्धान्त पढ़ाए जायें बिन सिद्धान्तों में दिगम्बर श्वेताम्बर साम्प्रदायिक मेद नहीं है । तथा व्यवहार धर्म की रीतियों में जो मतभेद है, उनपर समष्टि रखना सिखलाया बाए । यह मण्डल क्तमान जैन समाज के संचालकों से निवेदन करता है कि वह इस उद्देश्य की पूर्ति संस्थाओं में करें।
(नं. ६.) समाज में विधवाओं की दशा बहुत शोचनीय है । उनके •उदार के लिये उचित है कि विधवा अाश्रम खोलकर उनका
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