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________________ ( २६ ) १५६ प्रतिनिधि विविध प्रान्तों से पधारे थे जिनकी सूची जैन गजेट में प्रकाशित है । १५ प्रस्ताव निश्चित हुए थे, जिनमें से निम्न उल्लेख. नीय है: प्र० न०६-समय था पहुँचा है जब जैन समाज में प्रचलित कुरोतियों का नाश या सुधार ज़ोर के साथ किया बाय; नीचे लिखी दिशात्रों में विशेष ध्यान दिया जाय (१) २० बरस से कम की उमर में लड़कों का, और १४ से कम लड़कियों का विवाह न होने पाये। (२) ५५ से ऊपर पुरुष का, और जिसके पुत्र हो उसका ४५ बरस के ऊपर की उमर में पुनर्विवाह न होने पाये। (३) जैन जातियों में पारस्परिक विवाह तथा भोजन का प्रचार किया जाये। (४) विवाह और देहान्त सम्बन्धित रिवाज़ों में यथा-सम्भव सादगी बरती जावे और अनावश्यक रीतियाँ बन्द की जायें । (५) लड़का या लड़की वाले को किसी प्रकार भी बहुमूल्य नकद या द्रव्य का प्रदेशन करने से रोका जाये। (६) विवाह या मौत के अवसरों पर अपनी शक्ति से अधिक खर्च का रिवाब, और मरने पर बिरादरी का भोजन, रोका जाय । (७) विवाह के अवसर पर रंडी का नाच बन्द कर दिया जाय । मंडल का प्रत्येक सदस्य अगर लिखे सुधारों का यथाशक्ति पालन करेगा। (८) जैन तीर्थो, मन्दिरों और संस्थाओं का हिसाब बाँच किया चाकर जैन समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जाय। इसी अवसर पर श्रीयुत उग्रसैन वकील हिसार ने १०,०००) का दान सेन्ट्रल जैन कालिब स्थापित करने के लिये घोषित किया । खेद है कि ऐसा कालिब अब तक नहीं बन सका, यद्यपि बारे में भी हरप्रसादShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034772
Book TitleBharat Jain Mahamandal ka Sankshipta Itihas 1899 to 1946
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitprasad
PublisherBharat Jain Mahamandal Karyalay
Publication Year1947
Total Pages108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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