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में सम्मिलित होने वालों के कुछ नामों का उल्लेख कर देना अनुचित न होगा। जैसे, प्रो० जेम्सप्रैट विलियमस-टाऊन संयुक्त राष्ट्रीयसंघ अमेरिका, लार्ड बिशप बनारस, प्रो० उनवाला, डाक्टर भगवानदास, कुमार सत्यानन्द प्रसाद सिंह, डा० फिसकोन (लीपजिग बर्मनी), माणिकलालजी कोचर नरसिंगपुर, सेठ हुकुमचन्द खुशालचन्द काठियावाड़, रायबहादुर मोतीचन्द्रजी, रानी श्रौसानगंज, श्री सुकतंकर साहित्याश्रम इन्दौर, सर सीतारामजी, ब्र० भागीरथजी, ब्र० ठाकुरदास जी, ब० भगवानदीन जी, ब० गुम्मनजी मूडबिदरी, महाराज कपूरविजयजी, मनिराज श्री क्षमामुनिजी, विनयमुनिजी, प्रताप मुनिधी इत्यादि । इस महोत्सव का पूर्ण विवरण अग्रेजी जैन गजेट अनवरी १६१४ में प्रकाशित है।
ऐसे महत्व का महोत्सव अाज तक जैन समान में नहीं हुआ और इस सबकी आयोजना के श्रेय का बहुभाग श्री कुमार देवेन्द्र प्रसादजी पारा निवासी को है। इस महोत्सव के आयोजन से स्वर्गीय कुमारजी की कीर्ति अजर अमर रहेगी।
चौदहवाँ अधिवेशन
चौदहवाँ अधिवेशन बम्बई ता ३०, ३१ दिसम्बर १९१५ को स्थानकवासी समाज के प्रतिनिधि, उगते सूर्य, अर्थशास्त्र के ख्यातिप्राप्त प्राचार्य खुशाल भाई टी. शाह वैसिस्टर-ऐटला के सभापतित्व में हुआ। इस अधिवेशन में भी अपूर्व उत्साह और शान थी । उनी दिनों बम्बई में नैशनल कांग्रेस की बैठक बगाल-केसरो सर सत्येद्रप्रसन्न सिंह के सभापत्वि में हो रही थी और नगर सारा मुसबित था। महामंडल के इस अधिवेशन में अनेक प्रान्त, अनेक जाति और अनेक सम्प्रदाय के अग्रगण्य जैन सम्मिलित हुए थे। श्रा मकनबी जूठाभाई मेहता बैरिस्टर ऐटला स्वागत-समिति के अध्यक्ष ये । श्री वाडीलाल मोतीलाल शाह Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com