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( ट ) स्वर्गीय पिता महोदय का अपूर्व चित्र, पाषाण मूर्ति, सिक्के तथा अन्य प्रदर्शनीय वस्तु संग्रह इन्होंने कलकत्ता युनिवर्सिटी के शिल्प सम्बन्धी प्राशुतोष प्रदर्शनालय की भेंट कर दिया।
जैन सिद्धान्त और चित्रकारी श्रादि कला में आविष्कारार्थ "पूर्णचन्द्र नाहर छात्रवृत्ति" स्थापित की है ।
१९३७ से १९३६ तक भारतवर्षीय प्रोसवाल कान्फरेन्स के सेक्रेटरी।
तरुण जैन के सम्पादक । श्री जैन समा कलकत्ता के अध्यक्ष । बंगाल प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य ।
२.१०.४२ को अगस्त आन्दोलन के सम्बन्ध में जेल में रखे गये । कलकत्ता हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच के हुक्म से रिहा किये गये, परन्तु तुरन्त ही रेग्युलेशन ३, सन् १८१८ में गिरफ्तार कर लिये गये और मार्च १६४५ तक सरकारी कैदी रहे । अस्वस्थ होने के कारण छोड़ दिये गये। फरवरी १९४६ बंगाल लेजिस्लेटिव काउन्सिल के सदस्य सर्वसम्मति से निर्वाचित हुए ।
बंगाल काउन्सिल कांग्रेस पार्टी के सेक्रेटरी है।
हैदराबाद ( दक्षिण) अधिवेशन १९४७ के सभाध्यक्ष
श्रानरेबिल कुन्दनमल शोभाचन्द फिरोदिया स्पीकर बम्बई लेजिस्लेटिव ऐसम्बली
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संक्षिप्त परिचय आपका चन्म अहमदनगर में १८६५ में हुआ। फरगुसन कालियः पूना से १६०७ में डिगरी प्राप्त करके, १९१० में ऐडवोकेट हुए । १९४२ तक वकालत का काम किया । ६ अगस्त १९४२ को नबरबन्द
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