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________________ भगवान् महावीर ६८ जीवन में ऐसा आश्चर्यजनक साम्य पाया जाता है कि, उनको अलग अलग व्यक्ति स्वीकार करने में बुद्धि प्रेरणा नहीं करती। मसलन, महावीर और बुद्ध दोनों की स्त्री का नाम "यशोदा" और दोनों ही के भाइयों का नाम, "नन्दिवर्धन" था। इसके अतिरिक्त बुद्ध की कुमारावस्था का नाम “सिद्धार्थ" और महावीर के पिता का नाम भी सिद्धार्थ था। इन सब बातों से यह बात स्वीकार करने में बड़ा सन्देह होता है कि बुद्ध और महावीर अलग अलग व्यक्ति थे। लेकिन विल्सन साहब की यह युक्ति प्रमाण नहीं मानी जा सकती । क्योंकि महावीर और बुद्ध के जीवन में जितनी बातों में साम्य पाया जाता है, उससे अधिक महत्वपूर्ण बातों में वैषम्य भी पाया जाता है। जैसे बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु में हुआ और महावीर का कुण्डग्राम में । बुद्ध की माता बुद्ध का जन्म होते ही कुछ समय के अन्तर्गत स्वर्गस्थ हो गई, जब की महावीर की माता उनके जन्म के २८ वर्ष तक जीवित रही, बुद्ध माता पिता और पत्नी की अनुमती के बिना संन्यासी हुए थे, पर महावीर माता, पिता के स्वर्गवास हुए के पश्चात् ज्येष्ठ भ्राता की अनुमति से संन्या. सी हुए थे। इसके अतिरिक्त सब से बड़ा प्रमाण यह है कि राजा बिम्बसार जिसे जैनी लोग श्रेणिक कहते हैं । बुद्ध के समकालीन थे । इनको बुद्ध महावीर दोनों ने उपदेश दिया था। और ओणक पहले बुद्ध और फिर जैनी हुए थे । इन सब बातों का आधार देकर डाक्टर जेकोबी ने विल्सन का खण्डन करते हुए यह सिद्ध कर दिया है कि, बुद्ध और महावीर दोनों भिन्न भिन्न व्यक्ति थे, और समकालीन थे । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034764
Book TitleBhagwan Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1925
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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