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________________ भगवान् महावीर शान मनुष्यों को चुन कर उनके हाथ में शासन कार्य सौंप देते थे । ये तीनों अग्रणो समझे जाते थे। लिच्छवियों की एक महासभा थी। इस महासभा में भी सब लोग सम्मिलित हो कर कार्य में भाग लेते थे। “वरण जातक" और "चुलमकलिंग जातक" नामक बौद्ध ग्रन्थों में इस महासभा के सदस्यों की संख्या ७७०७ दी गई है । ये लोग महा सभा में बैठ कर न सिर्फ कानून बनाने में राय देते थे, प्रत्युत् सेना और आय व्यय सम्बन्धी सभी बातों की देखभाल करते थे। यह महासभा राज्य-शासन की सहूलियत के निमित्त नौ सभासदों को चुनकर उनकी एक कमेटी बना देती थी। ये नौ सभासद् "गणराजन्" कहलाते थे। ये लोग समस्त जनसमुदाय के प्रतिनिधि होते थे। "भट्ट साल जातक" नामक बौद्ध ग्रन्थ में लिखा है कि इन सभासदों का नियमानुसार जलाभिषेक होता था। और तब ये राजा की पदवी सं विभूषित किये जाते थे। ये प्रजातन्त्र राज्य कभी कभी आपस में लड़ भी पड़ते थे। "कुनाल जातक" नामक बौद्ध ग्रन्थ में लिखा है कि एक बार शाक्यों और कोलियों में बड़ा भारी युद्ध हुआ। युद्ध का कारण यह था कि दोनों ही राज्य अपने अपने खेत सींचने के निमित्त रोहिणी नदी को अपने अधिकार में रखना चाहते थे। ___ उस समय के राजा लोग आपस में किस प्रकार लड़ा करते थे, इसका खुलासा निम्नांकित उदाहरण से हो जायगा । उस समय कौशल देश में "ब्रह्मदत्त" नामक एक राजा राज्य करता था। उसने अपनी कन्या का विवाह मगध के राजा "श्रेणिक" ( विम्बसार ) के साथ कर दिया और आप अपने Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034764
Book TitleBhagwan Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1925
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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