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________________ ( ३ ) ९३९ १३ अध्ययन ... अध्ययन व १४७ २४ रहते ... करते १४१ ८ निकांचित ... निकाचित १४१ २२ आत्मावाले ... आनेवाले १४२ १५-१७ श्वेताम्बरी ... श्वेताम्बी १४३ १ अनिष्टको कर अनिष्ट कर १४३ ९ की कि १४३ ९ उससे १४३ १० शक्ति स्थिति १४७ ८ जाति जति १४९ ९ आत्मा ... आत्मा को १५१ ४ उपसगों की उपसर्गों को १५२ २४ भ्रम १५१ २० गढता ... गाढता लेवल १६२ १५ समय । संयय ४ सुख १६६ ३ खाक १६८ ५ बाहर बारह १७० ४ पारिधि परिधी १७४ ३ स्वांस स्वांग १७७ ६ कुछ चक्र कुचक्र पृष्ठ ७५ के अंदर भूल से लिखा गया है कि, महावीर और बुद्ध दोनों महात्माओं ने परस्थिति का अध्ययन कर एक २ नवीन धर्म भी नींव डाली। यह बात भूल से लिखी गई है। महावीर ने किसो नवीन धर्म की नींव नहीं डाली प्रत्युत प्राचीन काल से चले आये हुए जैन धर्म का ही नेतृत्व ग्रहण किया । जैसे कि इसी पुस्तक में अन्यत्र लिखा गया है। :: . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com क्रम केवल १६५ दुख खरक EEEEEEEEEEEE
SR No.034764
Book TitleBhagwan Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1925
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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