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________________ ५९ बुद्ध की जीवनी के सातवें ही दिन स्वर्गवासिनी हुई; इसलिये उनकी मौसी तथा विमाता प्रजावती ने उनका पालन पोषण किया था । राजकुमार सिद्धार्थ एकान्त-प्रमी थे और खेल कूद या आमोद प्रमोद में बहुत सम्मिलित न होते थे। वे सदा ध्यान में मग्न रहा करते थे और यही सोचा करते थे कि मनुष्य त्रिविध तापों से किस तरह छुटकारा पा सकता है। जब राजा शुद्धोदन ने अन्य प्रकार से कुमार का मन वैराग्य की ओर से हटता न देखा, तव उन्होंने उन्हें विवाह बन्धन में जकड़ने का मनसूबा बाँधा । सोलह वर्ष की उम्र में राजकुमार का विवाह पड़ोस के कोलिय वंश की राजकुमारी यशोधरा से कर दिया गया। राजकुमार के अट्ठाइसवें वर्ष राजकुमारी यशोधरा गर्भवती हुई और उसके गर्भसे यथा समय राहुल नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। उन्हीं दिनों राजकुमार सिद्धार्थ के मन में संन्यास ग्रहण करने का प्रबल विचार हो रहा था। जिस दिन राहुल उत्पन्न हुआ, उसी दिन आधी रात के समय उन्होंने राज-पाट और धन-सम्मान को सदा के लिये त्यागकर जंगल का रास्ता लिया। बहुत दिनों तक उन्होंने इधर उधर घूम फिरकर पण्डितों से ज्ञान प्राप्त करना चाहा। पर पण्डितों की शिक्षा से उनको वह ज्ञान न प्राप्त हुआ, जिसकी खोज में वे घर से बाहर निकले थे। तब उन्होंने यह सोचा कि सब से पहले शारीरिक शुद्धता के लिये तपस्या करना आवश्यक है; क्योंकि बिना इसके चित्त शुद्ध नहीं हो सकता। इस विचार से वे गया जी के निकट उरुबिल्व नामक ग्राम में, निरंजना नदी के किनारे, घोर तपश्चर्या में लीन हो गये । वे छः वर्षों तक तपस्या करते रहे। जब उन्होंने देखा कि मामूली तपस्या से Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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