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________________ बौद्ध कालीन भारत ३२ कि उन्होंने लगातार तेरह महीने तक अपना वस भी नहीं बदला और सब प्रकार के कीड़े मकोड़े उनके बदन पर रेंगने लगे। इसके बाद उन्होंने सब वस्त्र फेंक दिये और वे बिलकुल नग्न फिरने लगे। निरंतर ध्यान करने, पवित्रतापूर्वक जीवन बिताने और खाने पीने के कठिन से कठिन नियमों का पालन करके उन्होंने अपनी इन्द्रियों पर पूर्ण विजय प्राप्त कर ली। वे बिना किसी छाया के बनों में रहते थे और एक स्थान से दूसरे स्थान को विचरा करते थे। कई बार उन पर बड़े बड़े अत्याचार किये गये, पर उन्होंने धैर्य और शांति को कभी हाथ से न जाने दिया; और न अपने ऊपर अत्याचार करनेवाले से कभी द्वेष ही किया। ___ एक बार जब वे राजगृह के पास नालन्द में थे, तब गोसाल मंखलिपुत्र नाम के एक भिक्षु से उनका साक्षात्कार हुआ। इसके बाद कुछ वर्षों तक उसके साथ महावीर का बहुत घनिष्ट संबंध रहा। छः वर्षों तक दोनों एक साथ रहते हुए बहुत कठोर तपस्या करते रहे। पर इसके बाद किसी साधारण बात पर मगड़ा हो जाने के कारण महावीर से गोसाल अलग हो गया। अलग होकर उसने अपना एक भिन्न संप्रदाय स्थापित किया और यह कहना प्रारंभ किया कि मैंने तीर्थकर या अर्हत का पद प्राप्त कर लिया है । इस प्रकार जब महावीर तीर्थकर हुए, उसके दो वर्ष पहले ही गोसाल ने तीर्थकर होने का दावा कर दिया था। गोसाल का स्थापित किया हुआ संप्रदाय “श्राजीविक" के नाम से प्रसिद्ध है। गोसाल के सिद्धांतों और विचारों के बारे में केवल जैन और बौद्ध ग्रंथों से ही पता लगता है। गोसाल या उसके अनुयायी (आजीविक लोग) अपने सिद्धांतों और विचारों Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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