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________________ बौद्ध-कालीन भारत २८ जैन धर्म के चौबीस तीर्थंकर-साधारणतः महावीर ही जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक माने जाते हैं। पर जैन लोग अपने धर्म को अत्यन्त प्राचीन बतलाते हैं । उनका कहना है कि महावीर के पहले तेईस तीर्थकर हो चुके थे, जिन्होंने समय समय पर अवतार लेकर संसार के निर्वाण के लिये सत्य धर्म का प्रचार किया था। इनमें से प्रथम तीर्थकर का नाम ऋषभदेव था। ऋषभदेव कब हुए, यह नहीं कहा जा सकता । जैन ग्रंथों में लिखा है कि वे करोड़ों वर्ष तक जीवित रहे। अतएव प्राचीन तीर्थकरों के बारे में जैन ग्रंथों में लिखी हुई बातों पर विश्वास करना असंभव है। जैन ग्रंथों के अनुसार बाद के तीर्थंकरों का जीवन-काल घटता गया; यहाँ तक कि तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जीवन-काल केवल सौ वर्ष माना गया है। कहा जाता है कि पार्श्वनाथ महावीर स्वामी से केवल ढाई सौ वर्ष पहले निर्वाणपद को प्राप्त हुए थे। महावीर चौबीसवें और अन्तिम तीर्थकर माने जाते हैं। तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ-डाक्टर जैकोबी तथा अन्य विद्वानों का मत है कि पार्श्वनाथ ऐतिहासिक व्यक्ति हैं। इन: विद्वानों के मत से पार्श्व ही जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक हैं। कहा जाता है कि वे महावीर के निर्वाण के ढाई सौ वर्ष पूर्व हुए थे; अतएव उनका समय ई० पू० आठवीं शताब्दी निश्चित होता है। हम लोगों को पार्श्व के जीवन की घटनाओं और उपदेशों के बारे में बहुत कम ज्ञान है । भद्रबाहु कृत जैन-कल्पसूत्र के एक अध्याय में सब तीर्थकरों या जिनों की जीवनी दी हुई है। उसी में पार्श्व की भी संक्षिप्त जीवनी है। पर ऐतिहासिक दृष्टि Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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