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________________ ३६५ उपसंहार दोष दूर करने के लिये महायान संप्रदाय का प्रादुर्भाव हुआ । पर उससे मूर्ति पूजा की जड़ जमी, जिससे भारतवर्ष को एक दूसरी विपत्ति का सामना करना पड़ा। सारे देश में मठ, मन्दिर और मूर्तियाँ व्याप्त हो गई। न जाने उन पर कितना द्रव्य पानी की तरह बहाया जाने लगा। विशेषतः इन मन्दिरों और मठों की संपत्ति की चर्चा सुनकर ही मुसलमानों ने पहले पहल भारतवर्ष पर आक्रमण किया था। यद्यपि वर्तमान समय में बौद्ध धर्म के चिह्न भारतवर्ष में स्पष्ट रूप से नहीं दिखलाई पड़ते, तथापि उसका जो प्रभाव हमारी शिक्षा, दीक्षा और सामाजिक उन्नति पर पड़ा, वह बहुत अधिक है। शिल्प-कला में हमारा नाम करनेवाला बौद्ध काल ही है। अशोक के समान धार्मिक सम्राट् बुद्ध महाराज के उपदेश का ही परिणाम है । भारत के गुहा मन्दिर और मूर्तियाँ बौद्ध धर्म की ही करामात हैं । युरोप के खैराती कामों और परोपकारी भावों की प्रशंसा करनेवालों को यह सुनकर आश्चर्य होगा कि उनके यहाँ तो पहले पहले ईसवी चौदहवीं शताब्दी में, फ्रान्स में, केवल मनुष्यों के लिये अस्पताल खुले थे; किन्तु हमारे देश में मनुष्यों के लिये तो चिकित्सालय बहुत पहले से थे ही, किन्तु बौद्ध धर्म के प्रभाव से जीव-जन्तुओं और कीड़े मकोड़ों के लिये भी ईसा से तीन सौ वर्ष पहले चिकित्सालय खुल चुके थे। जानवरों के लिये अस्पताल गुजरात में चीनी यात्री फाहियान को पाँचवीं शताब्दी में और ह्वेन्त्सांग को सातवीं शताब्दी में भी खूब उन्नत दशा में मिले थे। सड़कों के दोनों तरफ पेड़ लगवाना, कूएँ खुदवाना, लम्बी लम्बी नहरें निकालना, रास्तों में धर्म-शालाएँ बनाना, ये सब बातें Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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