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________________ बोर-कालीन भारत था । मनुष्यों में ऊँच नीच का भाव खूब जोर पकड़ रहा था। ऊँची जातियों के लोग शूद्रों और हीन जाति के लोगों को बहुत छोटी निगाह से देखते थे। लोगों में प्रचलित धर्म के प्रति असन्तोष और अविश्वास फैला हुआ था। लोग नये नये भावों से प्रेरित होकर परिवर्तन के लिये लालायित हो रहे थे। वे एक ऐसे पुरुष की प्रतीक्षा कर रहे थे, जो अपने गंभीर विचारों और सदुपदेशों से उनकी आत्मिक पिपासा शान्त करे, और उनके सामने एक ऊँचा आदर्श रखकर उनका जीवन उन्नत बनावे । ऐसे समय बुद्ध भगवान ने अवतार लेकर समय की आवश्यकता को ठीक तरह से समझा और भारतवर्ष क्या, संसार के इतिहास में एक नया युग स्थापित किया। सब से बड़ी बात जो बुद्ध भगवान् ने की, वह यह थी कि उन्होंने ऊँच नीच का भाव बिलकुल मिटा दिया। उन्होंने अपने धर्म का द्वार छोटे-बड़े, ब्राह्मण और शूद सब के लिये समान रूप से खोल दिया। उनकी दृष्टि में ब्राह्मण और अन्त्यज, ऊँच और नीच सब बराबर थे। उनके मत से सब लोग पवित्र जीवन के द्वारा निर्वाण प्राप्त कर सकते थे। कोई गृहस्थ, चाहे वह कितने ही नीच वंश का क्यों न हो, भिक्षुओं के सम्प्रदाय में आकर अपने सदाचार से बड़ी से बड़ी प्रतिष्ठा पा सकता था। दूसरी बात बुद्ध भगवान् ने यह की कि अहिंसा और दया का प्रचार करके लोगों को अधिक सात्विक और सदाचारी बनाने का प्रयत्न किया । गौतम बुद्ध की सब से प्रधान शिक्षा गृहस्थ और भिक्षु दोनों के लिये यही थी कि मनुष्य को न तो स्वयं कोई जीव मारना चाहिए और न किसी को मारने के लिये प्रेरित Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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