SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 351
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बौख-कालीन भारत ३२४ ब्राह्मण था । उस ब्राह्मण को महायान की कल्पना श्रीकृष्ण तथा गणेश जी की कृपा से प्राप्त हुई थी।" इसका यही अर्थ है कि यद्यपि प्राचीन बौद्ध धर्म केवल संन्यास-प्रधान था, पर उसमें से भक्ति-प्रधान तथा कर्म प्रधान महायान पन्थ की उत्पत्ति भगवान् श्रीकृष्ण की भगवद्गीता के प्रभाव से हुई; अर्थात् महायान बौद्ध धर्म पर भगवद्गीता को बहुत प्रभाव पड़ा; और उसका भक्ति-मार्ग इसी भगवद्गीता का परिणाम है । महायान संप्रदाय पर विदेशियों का प्रभाव जब तक बौद्ध धर्म भारतवर्ष की सीमा के अन्दर रहा, तब तक वह अपने शुद्ध रूप में बना रहा। पर अशोक के समय में जब से वह भारतवर्ष की सीमा. पार करके दूसरे देशों में गया, तभी से उसके प्राचीन रूप में परिवर्तन होने लगा। अशोक के समय में उसके धर्म-प्रचारकों ने सीरिया, मिस्र, साइरीनी, यूनान, एपिरस, गान्धार, काम्बोज और लंका में जाकर अपने धर्म का प्रचार किया। यह स्पष्ट है कि गौतम बुद्ध के जो उपदेश या सिद्धान्त भारतवर्ष के अन्दर रहनेवाले लोगों के हृदयों पर प्रभाव डाल सकते थे, वे उसी रूप में हिन्दुस्तान के बाहर रहनेवाली यूनानी आदि जातियों के हृदयों पर पूरी तरह से प्रभाव न डाल सकते थे। इसलिये प्रत्येक देश की परिस्थिति के अनुसार बौद्ध धर्म में परिवर्तन करने की आवश्यकता हुई। अशोक के बाद मौर्य साम्राज्य का अधःपतन होते ही भारतवर्ष पर यूनानियों, शकों, पार्थिवों और • देखिये Dr. Kern's Manual of Indian Budhism; P. 122; और तिलक व गीता रहस्य; पृष्ठ ४६८-६९. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy