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________________ बौद्ध-कालीन भारत ३१२ भेद है । कारलाइल और कनिंघम साहेब का मत है कि ये सिक लगभग ई० पू० २५० के हैं; पर स्मिथ कौर रैप्सन का मत है कि ये ई० पू० १५० के पहले के नहीं हैं। अंतिम मत ठीक मालूम होता है; क्योंकि उनमें से किसी सिक्के पर अशोक के समय का लेख नहीं है। ईसवी प्रथम शताब्दी में मालव लोगों की मुठभेड़ क्षत्रप नहवान के सेनापति और दामाद उषवदात से हुई, जिसमें कदाचित् मालव लोग हार गये । उषवदात ने अपने नासिकवाले शिलालेख में इस विजय का उल्लेख बड़े अभिमान के साथ किया है। ____ बाद के शिलालेखों में मालव गण के सम्बन्ध में कुछ ऐसे वाक्य आये हैं, जो विक्रम संवत् की तिथियाँ सूचित करते हैं । वे वाक्य इस प्रकार हैं (१) मालवानां गणस्थित्या इ० (२) मालवगणस्थितिवशात् इ० (३) श्रीमालवगणानाते प्रशस्ते कृतसंज्ञिते इ० । डाक्टर टामस और डाक्टर भंडारकर के मत से उक्त वाक्यों के “गण" शब्द का अर्थ समूह है; और उनका कहना है कि विक्रम सम्वत् इन्हीं मालवों का चलाया हुआ है । मालवों ने जब अपना स्वतन्त्र गण-राज्य स्थापित किया, तब उसकी यादगार ___ * Cunningham's Archaeological Survey Report. VI. p. 182 and Smith's Catalogue of Coins in the Indian Museum. p 162. † Luder's List of Brabmi Descriptions in Epigraphia Indica Vol. X. Appendix, No, 1131. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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