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________________ बौद्ध-कालीन भारत हुए सिक्कों और लेख के आधार पर निश्चय किया है कि कनिष्क ईसवी दूसरी शताब्दी के पूर्वार्द्ध में हुआ। तक्षशिला में भगवान् बुद्ध के अस्थिशेष के साथ जो लेख मिला है, उसमें जिस “महाराज राजातिराज देवपुत्र कुषाण" का उल्लेख है, मार्शल साहब के मत से वह कैडफाइसिज़ प्रथम ही है। क्योंकि पहले ही राजा का नाम न लिखा जाना संभव है। दूसरे या बाद के राजाओं के लिये अपने अपने नाम लिखना आवश्यक ही है, जिससे वे प्रथम राजा से भिन्न समझे जा सकें। अब यदि एजेस के १३६वें वर्ष में अर्थात् ७९ ई० में कैडफाइसिज़ प्रथम राजा था और उसके पुत्र वीम कैडझाइसिज़ क बाद यदि कनिष्क आया, तो कनिष्क का काल अवश्य ही ईसवी दूसरी शताब्दी का पूर्वार्द्ध ठहरता है। (४) चौथा मत श्रीयुत देवदत्त रामकृष्ण भांडारकर का है। इस मत से शक संवत् में से २०० निकालकर कुषण राजाओं के लेखों की काल-गणना की जानी चाहिए। इस मत के अनुसार कनिष्क २७८ ई० में राजा हुआ। भाण्डारकर के मत का मुख्य आधार मथुरा का एक शिलालेख है, जो २९९ वें साल में किसी महाराज राजातिराज के काल में लिखा गया था । महाराज और राजातिराज ये दोनों उपाधियाँ एजेस प्रथम से वासुदेव कुषण तक के राजाओं की थीं। पर इनमें से कोई राजा मथुरा का स्वामी न था। जिनका राज्य मथुरा में था और जो "महाराज, राजातिराज" कहलाते थे, ऐसे चार ही राजा ज्ञात हैं-कनिष्क, धासिष्क, हुविष्क और वासुदेव । अलबरूनी के लेखों से पता चलता है कि कनिष्क आदि राजा शाही नामक Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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