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________________ २९१ राजनीतिक इतिहास १५० में स्थापित किया था। अतएव इस ताम्रलेख का समय ई० पू० ७२ सिद्ध होता है । यह भी सिद्ध होता है कि मोनस ई० पू० ७२ में अवश्य राज्य करता था। इस प्रकार मोटे तौर पर मोअस का राज्य काल ई० पू० ७५ से ई० पू० ५८ तक निश्चित होता है। मोअस के बाद एजेस प्रथम तक्षशिला का राजा हुआ । मोअस की तरह वह भी पार्थिया के मिथूडेटस. द्वितीय को अपना अधिपति या सम्राट मानता था। एजेस प्रथमइसने एक संवत् चलाया था, जो बाद को विक्रम संवत् के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह बात तक्षशिला के एकःखरोष्ठी लेख से सिद्ध होती है, जो भगवान बुद्ध के अस्थिशेष के साथ प्राप्त हुआ था। उस लेख का अनुवाद इस प्रकार है "एजेस के १३६ वें वर्ष में, आषाढ़ मास के पन्द्रहवें दिन भगवान बुद्ध की धातु (अस्थिशेष) को, नोअच नगर के रहनेवाले, वाह्नीक देश-निवासी लोतफ़िथ के पुत्र डरसक ने, तनुव नामक प्रान्त के तक्षशिला नगर में धर्मराजिक स्तूप के एक बोधिसत्त्व के मन्दिर में प्रतिष्ठापित को। यह प्रतिष्ठापना महाराज राजातिराज देवपुत्र कुषण की आरोग्य-वृद्धि के लिये, सब बुद्ध की पूजा के लिये तथा अपने आरोग्य-लाभ के लिये की गई है। यह दान दो.........।" इससे ज्ञात होता है कि एजेस प्रथम ने इस समय के १३६ वर्ष पूर्व एक संवत् प्रचलित किया था; और वह इतना प्रचलित हो गया था कि लेखक लोग एजेस की राजकीय उपाधियाँ लिखना अनावश्यक समझने लगे थे। सिक्कों तथा अन्य प्रमाणों से सिद्ध होता है कि एजेस प्रथम ई० पू० प्रथम Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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