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________________ बौर-कालीन भारत २८६. अन्त में इनका प्रभाव यहाँ तक बढ़ा कि मालवा, गुजरात, काठिया-. वाड़, कच्छ, सिन्ध, उत्तरी कोंकण और राजपूताने तक इनका अधिकार हो गया । पश्चिमी क्षत्रपों के नामों के बाद प्रायः “वर्मन" और "दत्त" लगा हुआ मिलता है। इस से पता लगता है कि वे हिन्दू हो गये थे और पौराणिक धर्म मानने लगे थे । ब्राह्मण धर्म और संस्कृत भाषा के उद्धार में इन लोगों ने बहुत सहायता दी थी । इन में से मुख्य मुख्य क्षत्रपों का हाल नीचे दिया जाता है। भूमक-पश्चिमी भारत का पहला क्षत्रप भूमक था। यह क्षहरात वंश का था । इसके केवल सिके मिलते हैं, जिनसे पता चलता है कि यह ईसवी प्रथम शताब्दी के अन्त या दूसरी शताब्दी के प्रारम्भ में हुआ था। यद्यपि अब तक इसके समय का कोई लेख नहीं मिला, तथापि इसके उत्तराधिकारी नहपान के समय के लेख से अनुमान होता है कि भूमक का राज्य सन् ११९ ई० के पूर्व था। नहपान-यह भूमक का उत्तराधिकारी था। इसका राज्य गुजरात, काठियावाड़, कच्छ, मालवा और नासिक तक के. दक्षिणी प्रदेशों में था। इसके समय के लेख सन् ११९ ई० से १२४ ई. तक के ही मिले हैं । इससे यह निश्चय करना कठिन है कि इसने कितने वर्षों तक राज्य किया । पर अनुमान होता है कि सन् १२४ ई० के बाद इसका राज्य थोड़े समय तक ही रहा होगा; क्योंकि इसी समय के लगभग आन्धू वंशी राजा शात * एपिग्राफिया इंडिका; खंड ८; पृ० ३६. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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