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इतिहास की सामग्री
पुराणों की राज-वंशावली-अठारह पुराणों में से पाँच पुराणों-वायु, मत्स्य, विष्णु, ब्रह्माण्ड और भागवत--में बौद्धकालीन राजाओं की क्रमबद्ध सूची दी गई है। बहुत से युरोपीय लेखक पुराणों में दी हुई राजवंशों की सूची को प्रामाणिक नहीं मानते और पुराणों को बहुत प्राचीन नहीं समझते। पर पुराणों में दी हुई राज-वंशावलियों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने से बहुत सी ऐतिहासिकों बात का पता लगता है। पुराण किसी न किसी रूप में ई० पू० चौथी शनाब्दी में अवश्य वर्तमान थे; क्योंकि कौटिलीय अर्थ शास्त्र में पुराण का उल्लेख आया है । बहुत से लोग पुराणों को और भी अधिक प्राचीन मानते हैं; और कुछ लोगों ने तो उपनिषदों तक में उनका उल्लेख ढूंढ़ निकाला है। ___ दीपवंश और महावंश-लंका के इन दो बौद्ध ग्रंथों में वौद्धकालीन राजवंशों और विशेषतः मौर्य वंश के संबंध की कई दंतकथाएँ लिखी हुई मिलती हैं । ये दोनों ग्रंथ पाली भाषा में हैं। इनमें से “दीपवंश" कदाचित् ईसवी चौथी शताब्दी में और "महावंश" कदाचित् ईसवी पाँचवीं शताब्दी में रचा गया था। ___ मुद्राराक्षस-मुद्राराक्षस से नन्द वंश और चंद्रगुप्त के बारे में बहुत कुछ पता लगता है। इसमें नन्द वंश के नाश, चंद्रगुप्त के राज्यारोहण तथा चाणक्य की कुटिल नीति का बहुत अच्छा वर्णन मिलता है। श्रीयुक्त काशीप्रसाद जीजायसवाल के मत से यह नाटक चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) के समय में, अर्थात् पाँचवीं ‘शताब्दी के प्रारंभ में, रचा गया था *। इस नाटक का रचना
• इन्डियन एन्टिक्केरी, अक्तूबर १९१३, पृ. २६५-७. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com