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________________ २६१ प्राचीन शिल्प-कला (६) लघु स्तम्भलेख-ये सारनाथ, कौशांबी और साँची में पाये जाते है। कौशांबीवाला लघु स्तम्भलेख भी उसी स्तंभ पर खुदा है जो इलाहाबाद के किले में है और जो कदाचित् पहले कौशांबी में था। (७) दो तराई स्तंभलेख-ये नेपाल की सरहद पर रुमिन्देई तथा निग्लीव नामक ग्रामों में हैं। (८) तीन गुहालेख-ये गया के पास बराबर नाम की पहाड़ी में हैं। अशोक के शिलालेखों, शिलास्तम्भों और उन पर गढ़ी हुई मूर्तियों से उसके समय की भारतीय शिल्प कला का कुछ कुछ अनुमान हो सकता है। अशोक के समय की शिल्प कला का एक बड़ा अच्छा उदाहरण उसका एक शिलास्तंभ है। वह चंपारन जिले के लौड़िया नन्दनगढ़ नामक ग्राम में खड़ा है । वह स्तंभ ३२ फुट ऊँचा है । उसका पत्थर बहुत हो चिकना है। ऊपर की ओर वह कम मोटा होता गया है। उसकी गोलाई नीचे आधार के पास ३५॥ इंच और शिखर के पास २२।। इंच है । उसका शिखर अधोमुखी कमल के आकार का है और उस पर एक सिंह की मूर्ति है। इसी तरह का एक शिलास्तंभ सारनाथ ( बनारस ) में भी है। वह इतना चिकना है कि मालूम होता है, अभी बनकर तैयार हुआ है । उसका भी शिखर अघोमुखी कमल के आकार का है। शिखर पर चार सिंह-मूर्तियाँ पीठ जोड़े हुए हैं । सिंह और शिखर के बीच के भाग में बैल, घोड़े, हाथी तथा सिंह की एक एक मूर्ति है। इन मूर्तियों के बीच के भाग में एक एक धर्मचक्र ( पहिया ) भी है, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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