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________________ बौद्ध-कालीन भारत २५० (२) विभंग-इसमें शास्त्रार्थ की १८ पुस्तकें हैं। (३) कथावत्थु इसमें विवाद के १००० विषय हैं । (४) पुग्गल पन्नत्ति-इसमें शारीरिक गुणों का वर्णन है । (५) धातुकथा-इसमे तत्त्वों का वर्णन है । (६) यमक-इसमें एक दूसरे से भिन्न या मिलती हुई बातों का वर्णन है। (७) पट्टान-यह अस्तित्व के कारणों के विषय में है । ऊपर संक्षेप में तीनों पिटकों के विषयों का वर्णन किया गया है। ये तीनों पिटक बुद्ध का जीवनचरित्र, उनके कार्य तथा बौद्ध कालीन भारतवर्ष का इतिहास जानने के लिये बहुत उपयोगी हैं । यद्यपि जिस समय ये तीनों पिटक निश्चित और संगृहीत किये गये, उस समय लोग लिखना जानते थे, तथापि उसके बाद सैकड़ों वर्षों तक वे केवल कण्ठाग्र रखकर रक्षित किये गये। दीपवंश (२०. २०-२१) में लिखा है-"तीनों पिटकों और उनके भाष्यों को भी प्राचीन समय के बुद्धिमान् भिक्षुओं ने केवल मुख द्वारा शिष्यों को सिखलाया ।” अतः ई० पू० ८० के लगभग तीनों पिटक पहली बार लिपिबद्ध किये गये थे। प्राचीन बौद्ध काल का संस्कृत साहित्य-संस्कृत साहित्य का सूत्र काल और प्राचीन बौद्ध काल प्रायः एक ही है । प्राचीन बौद्ध काल ई० पू० छठी शताब्दी से ई० पू० २०० तक माना जाता है। इसी तरह सूत्र काल भी ई० पू० ६०० या ७०० से ई० पू० २०० तक माना गया है । इस काल के पहले हिंदुओं के अपौरुषेय ग्रंथ अर्थात् वेद, ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद् रचे जा चुके थे । ब्राह्मणों में अब तक लेखन-कला का Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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