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________________ बोर-कालोन भारत २१८ मनोरंजक वृत्तान्त लिखा है। युद्ध आदि से बचे रहने के कारण किसान अपना पूरा समय खेती करने में लगाते थे । यदि खेतीका काम करते हुए किसी किसान के पास कोई शत्रु आ जाता था, तो वह उसे कोई हानि न पहुँचाता था। किसान लोग राजा को कर देते थे; क्योंकि कुल देश राजा की संपत्ति समझा जाता था। राजा के सिवा और कोई भूमि का मालिक नहीं माना जाता था। चरवाहे और शिकारी नगर अथवा गाँव में नहीं, बल्कि खेमों में रहते थे। वे हिंसक और जंगली जानवरों का शिकार करके और उन्हें फंसाकर देश को उनके उपद्रव से बचाते थे। शिल्पकारों में कुछ लोग शस्त्र बनाते थे; और कुछ लोग ऐसे यन्त्र निर्माण करते थे, जो खेती आदि के लिये उपयोगी होते थे। ये लोग केवल कर से ही मुक्त नहीं थे, बल्कि इन्हें राज्य से भी सहायता मिलती थी। मेगास्थिनीज ने सातवीं जाति दूतों की लिखी है । पर इसमें मेगास्थिनीज को भ्रम हुआ है । दूतों की कोई अलग जाति न थी। सब जाति के लोग दूत हो सकते थे । वे राजा के यहाँ नौकर होते थे । उनका कर्तव्य राज्य की सब बातों का पता लगाकर राजा को सूचित करना होता था। ब्राह्मण ग्रंथों के अनुसार सामाजिक दशा-ऊपर बौद्ध ग्रंथों और मेगास्थिनीज़ के अनुसार साजिक दशा का वर्णन किया गया है। अब हम तत्कालीन ब्राह्मण ग्रंथों के अनुसार प्राचीन बौद्ध काल की सामाजिक दशा का कुछ दिग्दर्शन कराना चाहते हैं। इसके मुख्य साधन ब्राह्मण ग्रंथ धर्म-सूत्र और गृक्ष-सूत्र हैं । इन्हीं सूत्र ग्रंथों के आधार पर यहाँ कुछ बातें दी जाती हैं। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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