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________________ बौद्ध-कालीन भारत कह रहे हैं-"बेटा, ब्राह्मण कुल की लड़की लाना" (ब्राह्मरणकुल कुमारिकं आनेथ )। जातक-कथाओं में ऐसे अनेक स्थल हैं, जिनमें समान जाति में विवाह करने पर जोर दिया गया है। उन्हीं कथाओं से यह भी जाना जाता है कि विवाह करने के समय लड़के या लड़की की रुचि या इच्छा का खयाल नहीं किया जाता था । बड़े बूढ़े आपस में बातचीत करके विवाह-सम्बन्ध तै कर लेते थे और अपने लड़के या लड़की से इस बारे में राय नहीं लेते थे। आम तौर पर वर और कन्या दोनों युवावस्था के होते थे। साधारण नियम तो यही था कि विवाह-सम्बन्ध समान जाति या वर्ण में होता था। पर इस नियम के विरुद्ध बहुधा असमान जाति या वर्ण में भी विवाह-सम्बन्ध के उदाहरण जातक कथाओं में पाये जाते हैं। "भहसाल जातक" से पता लगता है कि कोशल के राजा ने एक शूदा स्त्री से विवाह किया था; और उससे जो सन्तान हुई थी, वह क्षत्रिय समझी जाती थी। इसी तरह "कट्ठहारि जातक" से पता लगता है कि एक राजा ने शूद्र लकडिहारे की लड़की को अपनी प्रधान रानी बनाया था; और उससे जो लड़का हुआ था, उसे युवराज पद मिला था। क्षत्रियों की प्रधानता-जातकों तथा अन्य बौद्ध ग्रंथों में क्षत्रिय लोग सब वर्गों से श्रेष्ठ कहे गये हैं। ब्राह्मण तथा वैश्य उनसे नीचे समझे गये हैं। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार समाज में क्षत्रियों की मर्यादा सब से बढ़ी चढ़ी थी। उन में ब्राह्मणों का उल्लेख अपमान और नीचतासूचक शब्दों में किया गया है; तथा ब्राह्मणों के लिये "तुच्छ ब्राह्मण" "नीच ब्राह्मण" आदि शब्द आये हैं। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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