SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 212
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८५ मौर्य शासन परति (२) ग्रामों और प्रान्तों से निन्निलिखित माय होती थीखास राजा के खेतों की पैदावार; किसानों के खेतों की उपज का एक भाग; धन के रूप में भूमि-कर; घाटों पर उतराई का महसूल; सड़कों पर चलने का महसूल आदि । (३) खानों से भी राज्य को बड़ी आमदनी होती थी। सरकारी खानों से जो पैदावार होती थी, वह तो सरकारी खजाने में जाती थी ही; पर जो खाने सरकारी नहीं होती थीं, उनकी पैदावार का भी एक हिस्सा राज्य को मिलता था । (४) सरकारी बागों में जो फल, फूल, साग आदि होते थे, उनसे भी सरकार को अच्छी आमदनी होती थी। (५) शिकार खेलने, शहतीर काटने और जंगली हाथी आदि पकड़ने के लिये राज्य की ओर से हाथी किराये पर दिये जाते थे। (६) गाय, बैल, भैंस, बकरे, भेड़ आदि जानवरों के चरने के लिये चरागाह किराये पर दिये जाते थे। (७) वणिक्-पथों अर्थात् जल और स्थल के मागों में व्यापारियों से कर वसूल किया जाता था । इसके सिवा सिंचाई के लिये पानी का महसूल लिया जाता था। आचकारी की चीजों पर कर लगाये जाते थे। विदेशी शराब और नशे की चीजों पर खास कर लगाया जाता था। बाहर से आनेवाली चीजों पर साव प्रकार के भिन्न भिन्न कर लगाये जाते थे। इन करों को छोड़कर खजाने को भरा पूरा रखने के लिये श्रावश्यकता पड़ने पर कुछ और उपायों से भी धन-संग्रह किया जाता था। अर्थशास्त्र में प्रजा से धन लेने के भिन्न भिन्न उपाय लिखे हैं। प्रजा को समय समय पर राजा की सेवा में धन आदि भेंट Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy