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मौर्य शासन पति उनके चरित्र, कर्म, आजीविका तथा व्यय जानना; (४) प्रत्येक घर के पालतू पशुओं और पक्षियों की गणना करना; और (५) कर देनेवालों और न देनेवालों की संख्या जानना और यह मालूम करना कि कौन धन के रूप में कर देता है और कौन परिश्रम के रूप में।
गुप्त निरीक्षकों के कर्तव्य ये थे-(१) प्रत्येक गाँव के कुल मनुष्यों की गणना करना; (२) प्रत्येक गाँव के घरों तथा कुटुम्बों की गणना करना; (३) हर एक कुटुम्ब की जाति तथा कार्य का पता लगाना; (४) कर-मुक्त गृहों की जाँच करना; (५) प्रत्येक गृह के स्वामी का निश्चय करना; (६) प्रत्येक कुटुम्ब का आय-व्यय जानना; और (७) प्रत्येक घर के पालतू जानवरों की गणना करना । इनके ये काम तो प्रायः गोपों के कामों से मिलते हैं। पर इनके अतिरिक्त इनके मुख्य काम ये थे-(१) गाँव में नये मनुष्यों के आने तथा गाँव छोड़कर जाने का कारण जानना; और (२) गाँव में नये आनेवाले तथा गाँव छोड़कर जानेवाले आदमियों का लेखा रखना तथा संदिग्ध मनुष्यों पर दृष्टि रखना । वे यह काम गृहस्थों तथा संन्यासियों के रूप में रहकर किया करते थे । कभी कभी वे चोरों के भेस में भी पर्वतों, तीर्थों, घाटों और निर्जन स्थानों में जाकर चोरों, शत्रुओं तथा दुष्टों का पता लगाया करते थे।
राजधानी तथा नगरों के मनुष्यों की गणना करनेवाला कर्मचारी "नागरक" * कहलाता था । प्रत्येक नगर में एक एक
* कौटिलीय अर्थशास्त्र: अधि० २, अध्या० ३६. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com