SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 185
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बौद्ध-कालीन भारत १५८ नगर-शासन विभाग नगर-शासक मण्डल-जिस प्रकार सेना का शासन एक सैनिक मण्डल के अधीन था, उसी प्रकार नगर का शासन भी एक दूसरे मण्डल के हाथ में था। यह मण्डल एक प्रकार से आज कल की म्युनिसिपैलिटी का काम करता था और सैनिक मण्डल की तरह छः विभागों में बँटा हुआ था। इस मण्डल के भी तीस सभासदथे और प्रत्येक विभाग पाँच सभासदों के अधीन था। मेगास्थिनीज़ ने इन विभागों का वर्णन इस प्रकार किया है * - प्रथम विभाग का कर्त्तव्य शिल्प-कलाओं, उद्योग-धन्धों और कारीगरों की देखभाल करना था। यह विभाग कारीगरों की मजदूरी की दर भी निश्चित करता था । कारखानेवालों के कच्चे माल की देखभाल भी इसी विभाग के सपुर्द थी। इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाता था कि कारखानेवाले कहीं घटिया या खराब किस्म का कच्चा माल तो काम में नहीं लाते। कारीगर राज्य के विशेष सेवक समझे जाते थे। इसलिये जो कोई उनका अंगभंग करके उन्हें निकम्मा और अपाहिज बनाता था, उसे प्राणदण्ड दिया जाता था। द्वितीय विभाग का कर्तव्य विदेशियों की देखरेख करना था। मौर्य साम्राज्य का विदेशी राज्यों के साथ बड़ा घनिष्ट सम्बन्ध था। अनेक परदेशी व्यापार अथवा भ्रमण के लिये इस देश में आते थे। इस विभाग की ओर से उनका उचित निरीक्षण किया * Mc. Crindie's Ancient India as described by Megasthenes and Arrian. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy