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________________ बौख-कालोन भारत १२२ जिस समय अशोक ने अपने पिता की बीमारी का हाल सुना, उस समय वह उज्जयिनी में था। उन्हीं दन्त-कथाओं से यह भी पता लगता है कि अशोक के १०० भाई थे, जिनमें से ९९ को उसने मार डाला था। पर यह दन्त-कथा विश्वास करने के योग्य नहीं है। मालूम होता है कि इन कथाओं को बौद्धों ने यह दिखलाने के लिये गढ़ लिया था कि बौद्ध धर्म में आने के पहले उसका जीवन कैसा हिंसापूर्ण था; और बौद्ध धर्म में आने के बाद वह कैसा सदाचारी और पवित्र-हृदय हो गया। इसमें कोई संदेह नहीं कि अशोक के राज्यकाल के सत्रहवें या अठारहवें वर्ष में अशोक के भाई और बहनें जीवित थीं। उसके शिलालेखों से पता लगता है कि उसे अपने कुटुम्ब का बड़ा ध्यान रहता था। शिलालेखों से कोई ऐसा प्रमाण नहीं मिलता, जिससे यह सिद्ध हो कि वह अपने कुटुम्बवालों से किसी प्रकार की ईर्ष्या या द्वेष रखता था । उसके पितामह चन्द्रगुप्त को अवश्य सदा भयभीत रहकर अपना जीवन बिताना पड़ता था और अपने साथ ईर्ष्याद्वेष करनेवालों को दबाना पड़ता था; क्योंकि वह एक सामान्य मनुष्य से बढ़कर एकछत्र सम्राट हुआ था और बड़ी कड़ाई के साथ शासन करता था । पर चन्द्रगुप्त की तरह अशोक सामान्य मनुष्य से सम्राट नहीं हुआ था। उसने अपने पिता से उस बड़े साम्राज्य का अधिकार प्राप्त किया था, जिसे स्थापित हुए पचास वर्ष बीत चुके थे। इसलिये किसी को अशोक के साथ ईर्ष्या-द्वेष या लाग डॉट करने का अवसर न था; और इसी लिये उसके सामने वे सब मंझटें भीन थीं, जो चन्द्रगुप्त के जीवन में भरी हुई थीं। अशोक के लेखों से यह पता नहीं लगता कि उसे अपने शत्रुओं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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