SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 142
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११५ राजनीतिक इतिहास दिया है। उसने चन्द्रगुप्त के शासन और सैनिक प्रबन्ध का भी बड़ा सजीव वर्णन किया है, जिससे चन्द्रगुप्त के समय का बहुत सा सच्चा इतिहास विदित होता है । चन्द्रगुप्त की राजधानी-चन्द्रगुप्त की राजधानी पाटलिपुत्र नगर सोन और गंगा नदियों के संगम पर बसा हुआ था। आजकल इसके स्थान पर पटना और बाँकीपुर नाम के शहर हैं । प्राचीन पाटलिपुत्र भी आजकल की तरह लम्बा ही था । उन दिनों उसकी लम्बाई नौ मील और चौड़ाई डेढ़ मील थी। उसके चारों ओर काठ की बनी हुई एक दीवार थी, जिसमें ६४ फाटक और ५७० बुर्ज थे । दीवार के चारों ओर एक गहरी परिखा या खाई थी, जिसमें सोन नदी का पानी भरा रहता था। राजधानी में चन्द्रगुप्त के महल अधिकतर काठ के बने हुए थे; पर तड़क भड़क और शान शौकत में वे फारस के बादशाहों के महलों से भी बढ़कर थे। चन्द्रगुप्त का दरबार-चन्द्रगुप्त का दरबार बहुमूल्य वस्तुओं से सुसज्जित था। वहाँ रक्खे हुए सोने चाँदी के बर्तन और खिलौने, जड़ाऊ मेज और कुर्सियाँ तथा बहुमूल्य वस्त्र और आभूषण देखनेवालों की आँखों में चकाचौंध पैदा करते थे । जब कभी चन्द्रगुप्त बड़े बड़े अवसरों पर राजमहल के बाहर निकलता था, तब वह सोने की पालकी पर चलता था। वह पालकी मोती की मालाओं से सजी रहती थी। जब उसे थोड़ी ही दूर जाना होता था, तब वह घोड़े पर चढ़ कर निकलता था; पर लंबे सफर में वह सुनहली झुलों से सजे हुए हाथी पर रहता था । जिस तरह आजकल बहुत से राजाओं और नवाबों के दरबार में Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy