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राजनीतिक इतिहास अपने राज्य में मिलाकर गंगा और हिमालय के बीचवाले प्रदेश का सम्राट बन गया। उसने सोन और गंगा नदियों के संगम पर पाटलिग्राम के समीप एक किला भी बनवाया। इसी किले के आस पास अजातशत्रु के पोते उदयन ने एक नगर की नींव डाली, जो इतिहास में कुसुमपुर, पुष्पपुर अथवा पाटलिपुत्र
आदि नामों से प्रसिद्ध है । बढ़ते बढ़ते यह नगर केवल मगध की ही नहीं, वरन् समस्त भारत की राजधानी बन गया । फारस का बादशाह दारा अजातशत्रु का समकालीन था। उन दिनों सिंध
और पंजाब का कुछ भाग फारस साम्राज्य में था। इस बात के पुष्ट प्रमाण मिलते हैं कि भगवान बुद्ध का निर्वाण अजातशत्रु के राज्य-काल में हुआ। अजातशत्रु के पापमय जीवन का अन्त ई० पू० ४७५ के लगभग हुआ ।
शैशुनाग वंश का अन्त-पुराणों के अनुसार अजातशत्रु के बाद उसके पुत्र दर्शक ने राज्य किया। दर्शक के बाद उदय अथवा उदयिन ई० पू० ४५० के लगभग राजगद्दी पर बैठा । कहा जाता है कि उसी ने पाटलिपुत्र अथवा कुसुमपुर नामक नगर बसाया। उदयिन् के बाद नंदिवर्द्धन* और महानन्दिन् हुए, जिनके नाम मात्र पुराणों में मिलते हैं । महानन्दिन् शैशुनाग वंश का अंतिम राजा था। उसकी एक शूद्रा रानी से महा
___ * श्रीयुक्त काशीप्रसाद जायसवाल ने उदयिन् तथा नन्दिवर्द्धन की मूर्तियों का पता लगाया है, जो कलकत्ते के अजायबघर में रखी हुई हैं। ( जर्नल आफ बिहार एंड ओड़ीसा रिसर्च सोसाइटी, जिल्द ५, भाग १, पृ० ८८-१०६.) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com