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कानून विरोधी शंकाएं और उनके उत्तर
शंकाएँ कुछ लोगोंकी शंका है कि-(क) धार्मिक व्यवस्था करनेका कार्य संघका है। सरकारको इसमें हस्तक्षेए न करना चाहिए।
(ख) व्यक्तिकी अयोग्यता उमर पर निर्भर नहीं है। छोटा बालक भी दीक्षाके लिए योग्य हो सकता है और बड़ा आदमी भी अयोग्य हो सकता है। इसलिए सरकारका ध्येय अयोग्य व्यक्तियों की दीक्षा बन्द करनेका होना चाहिए बालदीक्षा बन्द करनेका नहीं।
(ग) जिस सम्प्रदायमें पहलेसे ऐसे नियम विद्यमान हों जिनसे अयोग्य व्यक्तिको दीक्षा लेने या देनेका अधिकार न रहे, उस सम्प्रदाय पर सरकारी नियन्त्रणकी आवश्यकता नहीं है।
(घ) कानून बनानेसे साधु संस्थाको धक्का पहुंचेगा।
(ङ) बाल्यावस्थामें विरक्त व्यक्तिके लिए आत्मकल्याणका मार्ग रुक जायगा।
उत्तर (क) यह बात ठीक है कि धार्मिक व्यवस्था करनेका कार्य संघ का है। यदि संघ अपने सम्प्रदायमें धार्मिक व्यवस्था ठीक ठीक करे तो सरकारको हस्तक्षेप करनेकी आवश्यकता नहीं है। किन्तु प्रश्न यह है-क्या संघ व्यवस्था ठीक ठीक चल रही है ? वास्तवमें देखा जाय तो अाजकल संघकी व्यवस्था तभी तक चलती है जब Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com