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ज्यां त्यां जोई, खोटां अनुमानो काढवामा दोरवाई गया छे, जे भयंकर छे, अने जैनधर्मनी महत्ता खोटी रीते गाई छे. आ पुस्तिकाना लेखक जणावे छे के डॉक्टर साहेबना पुस्तको बहार पडवाथी जैनोने लाभ थवाने बदले हानि थवानों संभव वधारे छे. आ तेमनो मत जराक उतावळे लागे छे. छतां दलीलो तो बहु मजबूत रजु करी छे. पण ही तो तेमणे एकज पुस्तक जोयुं छे. डॉ. शाहना चारे चार भागो प्रकट थाय नहिं त्यांसुधी एकदम चोकस अभिप्राय बांधवो मुश्केल छे. कारण के केटलाक सवालो लेखके पूच्या छे तेना खुलासा बीजा जीजा के चोथा भागमां कदाच आवी पण जाय. छतां पण श्री विजयेन्द्रसूरिजीए केटलाक मुद्दाओ एवा जणाव्या छे के ते रा. डा. शाहनी दलीलो पहेलेथी कापी नांखे छे. दा. त. चन्द्रगुप्त अने सेन्ड्रोकोटस एक छे. प्रियदर्शिन ए अशोकनु बिरुद हतुं, तथा अशोकना खडक लेखोमां जे सात धर्मग्रन्थोनां नामो आवे छे ते सर्व बौद्धधर्मने लगता छे; एम श्री विजयेन्द्रसूरिजीए निःसंदग्ध रीते पूरवार कयुं छे; एटले बीजा भागनो घणो मोटो भाग आथी नकामो थइ जाय छे. आ सात बौद्ध धर्मना ग्रंथोनां नामोज एकलां पुरवार करवाने बस छे के शिलालेखो अशोकनांज छे, प्रियदर्शिनना नथी, अने प्रियदर्शिन ए नाम अशोकर्नु बिरुद छे. शिलालेखमां अशोक एवं नाम आवतुं नथी; एटले प्रियदर्शिन पण जैन नहिं पण बौद्धज होवो जोइए एम जणाय छे.
___आ विषय अटपटो अने गुंचवणीमर्यो छे. एंटले तेना उपर रागद्वेष वगर जेटली चर्चा थशे तेटली उपकार :
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