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बानो अने वे विधर्मी राजाओना लेखोने पोताना धर्मना राजाना लेखो मनावी बीजानी संपत्ति स्वकीय संपत्ति मनाववानो दाक्तर साहेबे विचित्र प्रयत्न कर्यो छे " ( पृ. ५९ ). अलबत्त, आचार्यश्री कहे छे तेम “ तेमनी मुराद पार पडी नथी एम तो जरुर कही शकाय अने एटलं आपणुं सद्भाग्य छे एमां शंका नथी." खरी वात छे के जैनसमाजमां आवा साचा इतिहासहृदयकोविद आचार्य जागृत छे ए जैनसमाजनुं ज नहि पण गुजरांतनुं सद्भाग्य छे, एम आ स्तुत्य अने अंतरना इतिहासप्रेमथी प्रेरित प्रयासने जोइने कह्या वगर रही शकता नथी. .
दुर्गाशंकर के. शास्त्री. साहित्यकार
वडोदरा साहित्य सभा तरफथी प्रगट यतुं त्रैमासिक सन् १९३६ ना सप्टेम्बरमां लखे छे के:
लेखके आ नानुं पुस्तक डॉ. त्रिभुवनदास शाहना चंद्रगुप्त, अशोक, प्रियदर्शी, महाराजा संप्रति, वगेरे राज्यकर्त्ताओना अमल विषे दर्शावेला विचारोनुं निरसन करवा माटे तैयार कर्य के अने तेम करतां तेमणे ते समयनी केटलीएक ऐतिहासिक हकीकतोनुं सारं समर्थन कयु छे. आ नानुं पुस्तक लेखकनी प्रवृत्तिना प्रथम प्रयासरूपे छे. ते मोटा प्रयासने तेओ तुरत प्रकाशित करे तेवू अमे इच्छीए छीए. ..
प्रोफेसर केशवलाल हिंमतलाल कामदार एम. ए.
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