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हुबे बोल
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इतिहास ए एक एवी वस्तु छे के जे आपणने पूर्वपरिस्थितिनु भान करावे छे, ते विषयमा उंडा उतरनारा विद्वानोज साचुं ज्ञान करावी शके छे बाकी ‘सूं अने ठमरी' जेवू लखी आपनारा वैद्यो अने हलदरने गांठीए गांधी थई बेसनारा गांधीओ जेम उंटवैदुं करी साचा वैद्योनी प्रतिष्ठाने धक्को पहोंचाडे छे तेवीज रीते दंतकथाओने इतिहासमुं रूप आपनारा अने इतिहास ए शब्दनो पण पूरो अर्थ नहिं जाणनारा इतिहासमुं ज्ञान आपवामां महा पंडिताई बतलाववानो डोळ करी साचा इतिहासनी, साचा इतिहासज्ञोनी अने सत्य वस्तुनी प्रतिष्ठा घटाडवा तेओ नीकळी पडे छे.
तेवा लेखो लखनारा पैकीनो एक लेख " जैन " पत्रना खास अंकमां प्रगट थयेलो ते वांचता तेना जवाबरूपे अमारा तरफथी प्रगट थयेल " अशोकना शिलालेखो उपर दृष्टिपात " ए नामना पुस्तक माटे केटलाक विद्वानोए लखी मोकलेला अने केटलाक हिन्दी-गुजराती पेपरोमां प्रगट थएला अभिप्रायो वांची विचारी पोतानी भूलो स्वीकारशे एवी आशा राखी असतानी जाण माटे प्रगट करवामां आवे छे. पुस्तकनी किंमत चार आना छे.
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