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जो कुछ अध्यापक उनसे पूछते, उन सब बातोंका उत्तर महावीर अनायासही दे देते । उपाध्याय लोगजो इनको पढाते थे इनकी अद्धितीय तावबुद्धि देखकर अचंभा करने लगते । अध्यापकोंके प्रश्नों के उत्तर जव महावीर सरलतासे देने लगे तो वे लोग पुनः कठिन से कठिन प्रश्न करना आरंभ करने लगे। परन्तु ज्यों-ज्यों कठिन प्रश्न प्रभुके साम्हने आते त्यों-त्यों महावीर अपने सरल स्वभावसे उनका ठीक ठीक उत्तर दे देते। इस प्रकार अतुलनीय तीव्रबुद्धि इस बालककी देखकर अध्यापकों को कुछ दूसराही अभास होने लगा। ___ एकदिन अध्यापक और उपाध्यायोंने मिलकर प्रभु पर सबसे ऊची कक्षा के प्रश्न करना आरंभ किया। वे प्रश्न इतने कठिन थे कि जिनका उत्तर उपाध्यायभी शीघ्रतासे नहीं दे सकते थे। परन्तु महावीरने तो उन प्रश्नों का उत्तर भी उसी सरलता से प्रथक-प्रथक ठीक-ठोक दे डाला । अबतो अध्यापक और उपाध्यायोंकी आखें खुली और इस बालकके रूपमें उन्होंने किसी महान आत्माको देखा । ऐसे तीव्र बुद्धि वालकको पाकर अध्यापक और उपाध्याय इस सोच में पड़ गये कि इस बालकको पढाया क्या जाय । यह तो जो कुछभी तर्क-वितर्क युक्त प्रश्न हो उसका उत्तर अनायासही सही सही दे डालता है।
इसप्रकार अध्यापक और उपाध्यायोंको चिन्तित देख इन्द्रने ब्राह्मणका रूप लेकर उस विद्यालयमें प्रवेश किया। उसनेभी अध्यापकों और उपाध्यायों पर महत्व भरे शास्त्रीय प्रश्न किये जिनका उत्तर वे लोग तो न दे सके। परन्तु महावीरने उपाध्यायों
की आज्ञासे उन सब प्रश्नोंका उत्तर थोड़ेही देरमें न्याय सङ्गत Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com